दुनिया की सबसे प्राचीन और पुरानी भाषा आज भी इतिहासकारों के लिए बहुत ही रुचि एवं बहस का विषय बना हुआ है। इसका कारण है भाषा, जो मानव के भौतिक एवं सांस्कृतिक विकास का एक महत्वपूर्ण बिंदु है। भाषा का इतिहास कई हजारों साल पुराना है, अतः यह निर्धारित करना बहुत ही कठिन है कि कौन सी भाषा सबसे पुरानी और प्राचीन है। भाषाएं उन पुलों की तरह होती है जो संस्कृतियों, क्षेत्रों एवं समय को जोड़ती है। इतिहासकारों एवं भाषाविदों की माने तो संस्कृत विश्व की सबसे प्राचीन भाषा के रूप में जानी जाती है।
दुनिया की सबसे पुरानी भाषा है संस्कृत
संस्कृत को विश्व की सभी भाषाओं की जननी कहा जाता है। संस्कृत देववाणी है और यह विश्व की प्राचीनतम लिखित भाषा है। यह विश्व की एकमात्र ऐसी भाषा है जिसे ‘पूर्ण’ भाषा के रूप में जाना जाता है। यही कारण है कि संस्कृत को दुनिया की सबसे पुरानी भाषा के रूप में जाना जाता है। इतिहासकारों के अनुसार यह भाषा 3000 से लेकर 5000 वर्ष प्राचीन है। परंतु भारतीय शास्त्रों के अनुसार संस्कृत भाषा को देववाणी के रूप में जाना जाता है अतः यह भाषा कई युगों पुरानी है। आचार्य पाणिनी एवं महर्षि यास्क के काल में भी संस्कृत को लोक भाषा के रूप में जाना जाता था। प्राचीन समय में संस्कृत को मात्र भाषा कहा जाता था, परन्तु में कालांतर में इसे संस्कृत कहा जाने लगा।
भारतीय वेदों और प्राचीन ग्रंथों के अनुसार संस्कृत भाषा को देववाणी के रूप में जाना जाता है। अर्थात यह भाषा कालांतर से भी प्राचीन है। वैदिक गणना के अनुसार 4800 दिव्य वर्ष का सतयुग है, इसी प्रकार 3600 दिव्य देववर्ष का त्रेता युग है, 2400 दिव्य देववर्ष का द्वापर और 1200 दिव्य देववर्ष का कलियुग है। यहां दिव्य देवताओं का वर्ष है, अतः जब इसमें 360 से 1200 गुणा किया जाएगा तो कलयुग की सटीक आयु 432000 वर्षों की होगी। अतः यदि हम केवल कलयुग की ही बात करें तो संस्कृत भाषा की आयु 432000 वर्ष की होगी परंतु इसके पहले सतयुग त्रेता युग और द्वापर युग बीत चुके हैं। अतः केवल इस युग की बात करें तो संस्कृत भाषा को 5124 वर्ष हो चुके हैं।
संस्कृत भाषा की विशेषताएं
संस्कृत, Sanskrit का अर्थ है ” पूर्ण, तैयार, निर्मित, परिष्कृत ” संस्कृत भाषा की संरचना विश्व की सभी भाषाओं में सबसे जटिल है, इसके बाद भी यह सबसे सुलझी हुई पूर्ण भाषा है। संस्कृत भाषा के एक शब्द के कई अर्थ हो सकते हैं, और प्रत्येक अर्थ समय स्थान अथवा भाव के अनुसार बदल जाते हैं। विश्व के सभी भाषाएं मात्र एक सांकेतिक भाषा के रूप में प्रयुक्त होती है, परंतु संस्कृति एकमात्र ऐसी भाषा है जिसमें संगीत, भाव एवं रस तीनों है। संस्कृत भाषा में एक विशेष प्रकार की संगीतमय गुण है जिस कारण यह अन्य भाषाओं अधिक आकर्षक हैं। भारत के लगभग सभी भाषाओं का स्रोत संस्कृत ही है।
संस्कृत शब्द | हिन्दी | मलयालम | कन्नड | तेलुगु | ग्रीक | लैटिन | अंग्रेजी | जर्मन | फ़ारसी |
---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|
मातृ | माता | अम्मा | मातेर | मदर् | मुटेर | मादर | |||
पितृ/पितर | पिता | अच्चन् | पातेर | फ़ाथर् | फ़ाटेर | ||||
दुहितृ | बेटी | दाह्तर् | |||||||
भ्रातृ/भ्रातर | भाई | ब्रदर् | ब्रुडेर | ||||||
पत्तनम् | पत्तन | पट्टणम् | टाउन | ||||||
वैधुर्यम् | विधुर | वैडूर्यम् | वैडूर्यम् | विजोवर् | |||||
सप्तन् | सात | सेप्तम् | सेव्हेन् | ज़ीबेन | |||||
अष्टौ | आठ | होक्तो | ओक्तो | ऐय्ट् | आख़्ट | ||||
नवन् | नौ | हेणेअ | नोवेम् | नायन् | नोएन | ||||
द्वारम् | द्वार | दोर् | टोर | ||||||
नालिकेरः | नारियल | नाळिकेरम् | कोकोस्नुस्स | ||||||
सम | समान | same | |||||||
तात=पिता | Dad | ||||||||
अहम् | I am | ||||||||
स्मार्त | Smart | ||||||||
पंडित | पंडित/विशेषज्ञ | Pundit |
संस्कृत भाषा के शब्द मूलत रूप से सभी आधुनिक भारतीय भाषाओं के साथ विदेशी भाषाओं में भी है। मलयालम, कन्नड और तेलुगु आदि दक्षिणात्य भाषाएं संस्कृत से जुड़ी हुई हैं। तमिल जैसे भाषाओं में भी संस्कृत के हजारों शब्द पाए जाते हैं।
ऊपर दिए गए तत्सम-तद्भव इत्यादि समान शब्दों के माध्यम से आप समझ सकते हैं की संस्कृत भाषा किस प्रकार से आज की आधुनिक भाषाओं की जननी है। यहाँ ऊपर के तालिका में केवल कुछ ही शब्दों का उदहारण दिया गया है। इनके माध्यम से आप स्वयं यह अंदाजा तो लगा ही सकते हैं की संस्कृत भाषा किस प्रकार सम्पूर्ण विश्व की भाषाओं से जुडी हुई है।
संस्कृत भाषा स्वयं में इतनी जटिल है कि इसे पूरी तरह से सीखना बहुत ही कठिन है। यही कारण है कि इस भाषा को लोग सही से नहीं सीख पाते हैं। भारत में सदियों से संस्कृत भाषा का प्रयोग होता रहा है, परंतु जैसे-जैसे भाषा और संस्कृति में बदलाव आया इसका प्रयोग कम होता चला गया।
लगभग 19वीं शताब्दी में भारतीय स्वतंत्रता के पश्चात संस्कृत भाषा का पुनरुत्थान हुआ, और इसे विद्वानों द्वारा एक बार फिर से प्रयोग किया जाने लगा। आज संस्कृत भारत के साथ-साथ विश्व भर में पढ़ी और पढ़ाई जाती है।
तमिल और संस्कृत में पुरानी भाषा कौन
इसमें कोई संदेह नहीं है कि तमिल एक प्राचीन भाषा है, और यह आज के आधुनिक हिंदी भाषा से भी प्राचीन है। परंतु यह कहना कि तमिल भाषा संस्कृत भाषा से भी प्राचीन है, यह किसी भी प्रकार से सही नहीं है। क्योंकि आज तक इसका कोई भी प्रामाणिक साक्ष्य नहीं मिला है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार तमिल भाषा लगभग 4,000 वर्ष पुरानी है। परंतु साक्ष्यों के आधार पर यह भाषा लगभग 1000 वर्ष पूर्व अस्तित्व में आई थी और संस्कृत भाषा लगभग 5000 वर्ष पूर्व से अस्तित्व में है। अतः इसमें कोई भी संशय नहीं है की संस्कृत भाषा हर प्रकार से तमिल भाषा से प्राचीन है।
तमिल भाषी विद्वानों का भी यही मानना है, की संस्कृत भाषा तमिल भाषा से अति प्राचीन है। उदाहरण के लिए ऋग्वेद को विश्व का सबसे प्राचीन ग्रंथ माना जाता है, जिसके वैज्ञानिक प्रमाण से यह पता चलता है की यह लगभग 1800-1100 वर्ष प्राचीन हैं। यह ग्रन्थ विश्व के सभी ग्रंथों से प्राचीन हैं। ऋग्वेद वैदिक संस्कृत भाषा में लिखा गया है एवं वैदिक संस्कृत भाषा स्वयं में अति प्राचीन है। वैदिक संस्कृत 2000 ईसापूर्व से लेकर 600 ईसापूर्व तक बोली जाने वाली एक हिन्द-आर्य भाषा थी।
तमिल के प्राचीन होने के संदर्भ में यह कहना सबसे उचित होगा कि तमिल भाषा अब तक की सबसे प्राचीन जीवित भाषा के रूप में उपलब्ध है। इसका प्रयोग 1000 वर्ष से निरंतर होता चला आ रहा है। वर्ष 2004 में तमिल को भारत की सांस्कृतिक भाषा के रूप में घोषित किया गया है।
कंप्यूटर कोड और संस्कृत भाषा
संस्कृत भाषा की समृद्ध शब्दावली और सटीक व्याकरण इसे कंप्यूटर के लिए उपर्युक्त बनाते हैं, परन्तु इनके बावजूद भी यह आधुनिक कंप्यूटर प्रोग्रामिंग के लिए उपर्युक्त प्रोग्रामिंग भाषा नहीं है। इसका वाक्य-विन्यास और संरचना अधिकांश प्रोग्रामिंग भाषाओं के अनुकूल नहीं है, जिस कारण इसे मशीनों द्वारा पढ़ा जाना संभव नहीं है। जबकि आधुनिक प्रोग्रामिंग भाषाएं जैसे जावा, पायथन, C और C++ जैसे लैंग्वेजेज के लिए डेवलपर्स के पास लाइब्रेरी, उपकरण और संसाधनों की एक विस्तृत श्रृंखला ऑनलाइन उपलब्ध हैं।
आधुनिक प्रोग्रामिंग भाषाओं को विशेष रूप से कंप्यूटर प्रोग्रामिंग के उद्देश्य से विकसित किया गया है और निकट भविष्य में कंप्यूटर में एडवांस लेवल के प्रोग्रामिंग के विकास के लिए संस्कृत को प्रयोग में लाया जा सकता है।
प्राकृत भाषा क्या है
प्राकृत भाषा भी संस्कृत से निकली हुई एक भाषा है, जिसे प्राचीन समय में भारत में लिखने एवं पढ़ने के लिए उपयोग में लाया जाता था। प्राकृत भाषा का प्रयोग बुद्ध काल से भी पहले से होता चला रहा है। बुद्ध काल के समय के कई सारे शिलालेख एवं हस्तलिखित भोजपत्र मिले हैं, जिन से यह पता चलता है की प्राकृत भाषा कितनी प्राचीन है।
भारतवर्ष जिसे एक समय में आर्यवर्त के नाम से भी जाना जाता था उस समय में अनेक प्रादेशिक भाषाएं विकसित हुई थी जिन्हें हम सामान्यतः प्राकृत के नाम से जानते हैं।