धर्म का सीधा अर्थ है – धारण करने योग्य, मूलतः धर्म का कोई नाम नहीं होता है, और ना ही कोई धर्म का संस्थापक होता है। साधारण शब्दों में धर्म – कर्तव्य, अहिंसा, न्याय, सदाचरण, सद्-गुण आदि का मिला जुला समागम होता है। धर्म का शाब्दिक अर्थ होता है, ‘धारण करने योग्य’ सबसे उचित धारणा, अर्थात जिसे सबको धारण करना चाहिये। इसे और अधिक सरलता से समझे तो, जो सब प्रकार से ‘धारण करने योग्य’ हो, जो वैज्ञानिक अथवा सैद्धांतिक दोनों दृष्टिकोण से सबसे उचित हो उसे ही सही मायने में धर्म कहते हैं।
धर्म की परिभाषा, एवं धर्म क्या है और पंथ क्या है
धर्म शब्द का अर्थ है ‘धारण करने योग्य’, उदाहरण के लिए जैसे राजधर्म, पत्नी धर्म, पुत्र धर्म, राष्ट्रधर्म इत्यादि- अंग्रेजी शब्द में इसका शाब्दिक अर्थ ड्यूटी हो सकता है।
पंथ शब्द का अर्थ है विचारधारा, उदाहरण के लिए वामपंथ, दक्षिण पंथ, ईश्वर प्राप्ति के लिए कबीर पंथ, ईशा पंत ईसाई, मोहम्मद पंथी, इब्राहीमी पन्थ (इस्लाम) इत्यादि अंग्रेजी में इसका शाब्दिक अर्थ कल्ट अथवा कल्चर अथवा Path हो सकता है।
पंथ का अनुसरण करने वाले लोग एक अथवा एक से अधिक विशेष प्रकार की परलौकिक शक्ति में विश्वास रखते हैं और उससे जुड़ी तमाम प्रकार के रीति-रिवाज, परम्पराएँ इत्यादि करते हैं।
अंग्रेजी अनुवाद के कारण है भ्रान्ति
वास्तव में धर्म शब्द के लिए कोई अंग्रेजी शब्द बना ही नहीं है, धर्म शब्द अपने आप में ही एक बहुत बड़ा अर्थ समेटे हुए हैं उसे अंग्रेजी के एक शब्द से व्यक्त करना पूर्णतः असंभव है। धर्म शब्द का अंग्रेजी अनुवाद (Religion) रिलीजन कर दिया गया है और इस कारण लोगों की उलझन और बढ़ गई है। रिलीज शब्द का वास्तविक अर्थ मजहब अथवा पंथ हो सकता है।
Religion meaning in Hindi
रिलिजन का हिंदी अर्थ – Religion का हिंदी में कोई मूल अर्थ नहीं होता है या हम यह कह सकते हैं की धर्म का अर्थ Religion ना कह के हम इसे पंथ अथवा मजहब कह सकते हैं। उदाहरण के लिए हम इसे ऐसे समझ सकते हैं – सम्पूर्ण विश्व में मात्र केवल एक ही धर्म है वह है सनातन धर्म बाकी सब पंथ अथवा मजहब हैं।
सनातन धर्म जीवन को सही ढंग से जीने की एक पद्धति है। यहाँ आपको किसी भी चीज को मानने की बाध्यता नहीं है, परन्तु पंथ एवं मजहब में आपको उस पंथ के इश्वर को मानना होता है। उस पंथ अथवा मजहब के हिसाब से जीवन जीना होता है। आप चाह कर भी उसपर सवाल नहीं उठा सकते हैं। चाहे वह गलत ही क्यों न हो।
परन्तु आपको सनातन धर्म आपको प्रश्न पूछने को विवश करता है। आप अपने मन में चल रहे जिग्यासाओं को जानने को पूरी तरह से स्वतंत्र हैं। यदि आपको कुछ गलत लगता है तो आप उसपर सवाल करने का पूर्ण अधिकार रखते हैं।
सनातन धर्म और हिन्दू धर्म
‘सनातन’ का अर्थ है – शाश्वत या ‘हमेशा बना रहने वाला’, अर्थात् जिसका न आदि है न अन्त। अर्थात ऐसा धर्म जो वैदिक काल से भी पूर्व धरती पर व्याप्त रहा हो और आने वाले समय में भी यह अनंत काल तक ऐसे ही विश्व में व्याप्त रहेगा।
सनातन धर्म को विश्व का प्राचीनतम धर्म माना जाता है। सनातन धर्म की उत्पत्ति धरती पर मानवों की उत्पत्ति से भी पहले हुई अतः इसे ‘वैदिक सनातन वर्णाश्रम धर्म’ के नाम से भी जाना जाता है।
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हिंदू शब्द की विवेचना की जाए तो सही में हिंदू कोई धर्म नहीं है, क्योंकि हिंदू शब्द को भारतीय उपमहाद्वीप में आए अधिक से अधिक 1000 वर्ष ही हुए हैं। पूर्व समय में ईरान के वासी सिंधु नदी के पार रहने वालों को हिंदू कहते थे क्योंकि वे ‘स’ का उच्चारण ‘ह’ किया करते थे। इन ईरान वासियों की देखा देखी उस समय के अरबी हमलावर भी भारत वासियों को हिंदू तथा उनके सनातन धर्म को हिंदू धर्म करने लगे।
यही कारण है कि आप में से किसी को भी आपके किसी भी धर्म ग्रंथ में कहीं भी हिंदू शब्द का प्रयोग देखने को नहीं मिलेगा। हिंदू शब्द का उपयोग 1000 वर्ष पूर्व ही शुरू हुआ है, अतः 1000 वर्ष के बाद के लिपियों में आपको हिंदू शब्द का प्रयोग मिलता है। अतः प्रत्येक हिन्दू धर्म को मानने वाले सनातनी (सनातन धर्म) ही हैं। परंतु आज भी लोग वर्षों पूर्व फैली भ्रांतियों के कारण समस्त सनातन धर्म पालन करने वाले स्वयं को हिंदू ही कहते हैं, यह ठीक उसी प्रकार है जैसे हो सूर्य को आग का गोला कहा जाये।
वर्तमान समय में हिन्दू संस्कृति को विभिन्न संस्कृतियों एवं परम्पराओं का सम्मिश्रण कहा जा सकता है, जिसका कोई संस्थापक नहीं है। यह सनातन धर्म से ही निकली एक संस्कृति है जो अपने अन्दर कई उपासना पद्धितियो, सम्प्रदायों, मत व् दर्शनों को समेटे हुए है। सनातन धर्म अथवा हिन्दू धर्म आज सम्पूर्ण विश्व भर में फैला हुआ है, यह विश्व का तीसरा सबसे बड़ा धर्म है।
हिन्दू धर्म का पालन करने वाले सबसे अधिक लोग भारत और नेपाल में हैं। इसे सनातन धर्म अथवा वैदिक धर्म के नाम से भी जाना जाता है। हिन्दू केवल एक संस्कृति मात्र नहीं है, अपितु यह जीवन जीने की एक पद्धति है। इसमें अलग-अलग कामनाओ के लिए अलग-अलग देवी-देवताओं की पूजा-पाठ उपासना का विधान है, परन्तु इस धर्म में एक ही इश्वर है वही सत्य है ऐसा मत है।
सनातन धर्म का इतिहास
सनातन धर्म जिसे हम वैदिक धर्म के नाम से भी जानते हैं। सनातन धर्म का इतिहास कालांतर से जुड़ा हुआ है। एक समय में सनातन धर्म संपूर्ण जंबूद्वीप (आर्यावर्त) में फैला हुआ था, जो आज के समय में भारत से होते हुए श्रीलंका, बांग्लादेश, थाईलैंड, मलेशिया, कंबोडिया, फिलिपिंस, चाइना, मंगोलिया, रसिया, कजाकिस्तान, यूक्रेन, पोलैंड, तुर्की, इजिप्ट, सूडान, इथोपिया, यमन, सऊदी अरब, ईरान, पाकिस्तान, अफ़गानिस्तान समेत अन्य कई देश इसमें सम्मिलित हैं। इन सभी को आप जम्बुद्वीप के इस नक्शे के माध्यम से समझ सकते हैं।
भारत (अब पंजाब पाकिस्तान व् सिन्ध पाकिस्तान लरकाना जिला) में अभी तक के प्राप्त साक्ष्यों के आधार पर वर्तमान में सिन्धु घाटी सभ्यता ( पूर्व हड़प्पा काल : 3300-2500 ईसा पूर्व) में सनातन धर्म से जुड़े कई चिह्न प्राप्त हुए हैं। इन प्राप्त चिन्हों में शिवलिंग, नाग के प्रमाण, मुद्राओं पर बने भगवान पशुपति, मातृदेवी की मूर्तियाँ इत्यादि अन्य कई प्रतीक प्रमुख हैं।
यहां पर रहने वाले आर्य ही थे और उनका मूल स्थान भारत ही था परंतु इतिहासकारों में आर्यों को लेकर कई प्रकार की भिन्नता मिलती है। इसका प्रमुख कारण यह है कि सिंधु घाटी सभ्यता अत्यन्त विकसित सभ्यता थी और वहां पर बने शहर अनेक बार बसे और उजड़े हैं, इसके साथ हीअलग-अलग काल में आर्यों का निवास स्थान फैलता तथा सिकुड़ता गया। अतः इस बात को लेकर इतिहासकारों में कई प्रकार की भिन्नता है।
सिंधु घाटी सभ्यता का विकास सिन्धु और घघ्घर/हकड़ा (प्राचीन सरस्वती) नदी के किनारे हुआ था। हड़प्पा, मोहनजोदड़ो, कालीबंगा, लोथल, धोलावीरा और राखीगढ़ी इसके प्रमुख केन्द्र थे। दिसम्बर 2014 में भिरड़ाणा (जो इस समय भारत के उत्तरी राज्य हरियाणा के फतेहाबाद जिले में स्थित एक छोटा सा गांव है) को सिन्धु घाटी सभ्यता का अब तक का खोजा गया सबसे प्राचीन नगर माना गया है।
ब्रिटिश काल के दौरान हुई पुरातत्व विभाग की खुदाई और इतिहासकारों के अनुमान के आधार पर यह पाया गया कि यह सभ्यता उस समय की सबसे अधिक विकसित सभ्यता थी और उनके शहर कई बार बसे और कई बार उजड़े भी थे। मोहन जोदड़ो की कास्य की नर्तकी की नक़ल जो बर्तन पर उकेरी गयी थी यहाँ से प्राप्त हुई थी।
विश्व भर में फैले कुछ प्रमुख पंथ
- हिन्दू धर्म
- जैन धर्म
- इस्लाम धर्म
- ईसाई पन्थ
- सिख पन्थ
- बौद्ध धर्म
इनमे से अधिकतर पंथों का उत्थान किसी न किसी तरह से सनातन धर्म के माध्यम से ही हुआ है। परन्तु सम्पूर्ण विश्व में सनातन ही एक मात्र धर्म है बाकी सब पंथ, मजहब अथवा जीवन शैली मात्र है। यहाँ हम सम्पूर्ण विश्व में फैले कुछ महत्वपूर्ण पंथों को जानने का प्रयास करेंगे।
कालांतर में सनातन धर्म से ही हिन्दू धर्म अथवा हिन्दू संस्कृति का उत्थान हुआ है, अतः हम सनातन धर्म को हिन्दू धर्म भी कहते हैं। परन्तु हिन्दू संस्कृति को पूर्णतः सनातन धर्म का दर्जा देना उचित नहीं है।